इंतज़ार
इंतज़ार
जो कहा उसने लिखो हाल-ए-इंतज़ार अपना,
सोचा बता दूं कितना हसीन हैं तेरे साथ देखा हर सपना।
डूबी रहूँ खयालों में, बीते मेरी रातें कर आंखें नम,
जो करी उनसे बाते, होने लगी दुनिया से बाते कम।
खुलें जो आँख मेरी चाहे तुझे मेरे और करीब,
क्या है ये साजिशें हालातों की, कैसा हैं ये कशिश।
गुजरता नहीं वक्त मेरा, ना कटती है ये बेईमान रातें तेरे बिन,
सूझ बूझ तो रहती नहीं, बस तेरे इंतज़ार में कट जाता है हर दिन।
जान खबर तेरे आने की बिजली सी दौड़ जाती हैं तन में,
आज कैसे दिखाऊ प्यार मेरा, सवाल घिर जाते हैं मन में।
क्या बनाऊं उनके पसंद का खाना, आज करेंगे बाते कितनी सारी,
रख बाते अपने मन में, करूँ पूरे प्यार से उनके आने की तैयारी।
निकालूँ अपनी खूबसूरत साड़ियाँ , करूँ मैं श्रृंगार पूरा,
कोशिश हैं खुश करने की उनको, डर है कुछ रह ना जाए अधूरा।
देख उनको सामने जैसे जिंदगी दिखती है,
उनका बांहों में लेकर चूमना, जैसे हर बार नयी जिंदगी मिलती हैं।
कैसे बताऊँ हाल-ए-इंतज़ार मेरा, वो सहना ना पाएंगे,
जो कभी मुझे पढ़ लिया तो मेरे बिन फिर रहना ना पाएंगे।

