वारदात
वारदात
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ए जिंदगी बता तेरे रंग कितने,
जी तो रहे है पर तेरे संग कितने?
गरुर है तुझे किस बात का,
क्या देगा हिसाब मेरे इन हालात का।
घायल हुई आत्मा तक मेरी,
क्या लेखा जोखा है मेरे जज़्बात का।
खुशियाँ जो ले गया मेरी,
क्या छपेगा खबर इस वारदात का।
जवाब तो तू क्या दे जिंदगी,
जवाब तो होगा पूरे कायनात का।
