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Jyoti Choudhary

Romance

4  

Jyoti Choudhary

Romance

मेरा खोया प्यार

मेरा खोया प्यार

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ये मेरी कुछ बेहिसाब सी कहानी है, 

बहुत खामोश, पर ऐसी ही ज़िंदगानी है।। 


ओढ़ा था उस रोज़ मैने रात की चादर, 

सपनो की थी भूलभूलैया, 

जहाँ फिर से पकड़ा था उसका आँचल। 

चांद तारों सी चमक रही थी वो वहां,

परियों के शहर सा लगा था वो सारा जहाँ।।


मुस्कुराते हुए चहरे लेकर, आयी वो मेरे पास, 

मेरे माथे को चूमा, और फिर पकड़ा मेरा हाथ।। 

उड़ा ले कर चली थी मुझे वो उसकी दुनिया में,

वो सब कितने खूबसूरत और चमकीले थे।। 


उसकी वो सितारों सी चमकती आँखे करती थी इजहार, 

खो जाता हूँ हर दफा उन आँखों में, मै हर वक़्त रहता हूँ बेकरार।

वो जैसे कोई खुशबू थी, या फिर रंग या थी कोई चमत्कार, 

वो पूछती रहती बड़ी मासूमियत से, क्यू करते हो इतना प्यार?? 


प्यार कैसे ना हो किसी को उससे, त्रुटिरहित हैं वो, 

मांगा ही नहीं कुछ सिवाए प्यार के, मेरे भाग की रचित हैं वो।। 

हँसते - खिलखिलते रहे हम, ना जाने क्या हुआ, उसकी आंखे हो गयी नम, 

कहती हैं अब उसके वापस जाने का वक़्त आ गया है।। 


मै समझना चाहता था, रोकना चाहता था उसे, 

पर जैसे वक़्त ने रफ्तार लेली और सब धुआं हो गया। 


वो रात की चादर हट चुकी थी,

अब सुबह की किरणे थीं मुझ पर, 

रो पड़ा मै फिर एक बार, 

और पूछा सवाल, कर के सर अम्बर की तरफ, 

क्यूँ चली आती है हर बार मेरे सपनों में,

जब रुख हकीकत से मोड़ा है। 

बहुत टूट चुका हूँ मै, बहुत मुश्किल से खुद को जोड़ा है।। 


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