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Kanchan Prabha

Romance

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Kanchan Prabha

Romance

उनके आँगन की धूप

उनके आँगन की धूप

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मैं बैठी थी आज

उनके आँगन में।

उनके आँगन की धूप ने

कुछ कहा चुपके से

मेरे कानों में।

खुशियों की कलियों से

ये घर सजाना एक दिन।

दुल्हन बन कर आहिस्ते से

तुम आ जाना एक दिन।


खामोशी भरी धड़कनों से

उनको मनाना एक दिन।

इस आँगन के पाश से

तुम बंध जाना एक दिन। 

बन जाना तुलसी तुम

इस छोटे से आँगन की।

कहती है यही तुमसे

धूप थोड़ी सी इस आँगन की।


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