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Prince Sharma

Abstract Romance

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Prince Sharma

Abstract Romance

मंजिल ने लौट जाने कहा

मंजिल ने लौट जाने कहा

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खुद को तुम में बसाने कहा

मंजिल ने लौट जाने कहा


मैं भी तुम्हारा कैफियत क्या पूछूँ

किसी ने हैसियत बताने कहा

 

मेरे इश्क की यही खराबी थी

जिसने मुझे गै़र बुलाने कहा


उस खुले आसमान को क्या कहूं

जिसमें पंछी को उड़ना भुलाने कहा


हमने भी कुछ ख़्वाब सजाये थे

लेकिन अब तुम्हारी याद बचाने कहा


जिन्हें सलीका है तहज़ीब समझाने का

उन्हीं के आंसू मुड़ जाने कहा

    


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