STORYMIRROR

Prince Sharma

Romance

4  

Prince Sharma

Romance

पहली मुलाकात

पहली मुलाकात

1 min
462

पहली ही मुलाकात में ये

दिल किस मोड़ पर अटक गया

मैं यौवन-सा भटकता गया

वो सावन-सा मटकती रहीं


उस संगम पर हमें फिर जा

खड़े हो गए जो समझ गए

वो कहते हम भी बड़े हो गए

शामें ढल गई फिर भी

बागों में चिड़िया चहकती रहीं

मैं पतझड़-सा झरता गया

वो बसंत-सा महकती रही


सपने जो सजाने लगे खुद 

को उन्हीं में बस आने लगे

अब तो मेरे हर संदेशों में

उन्हीं का नाम आने लगे 

मैं निकला खुद को सभ्य बनाने

तब नयनों ने कहा मंजिल वहीं 

चकोर से चंदा सजती रही

मैं मोरों-सा नृत्य करता गया

वो घटा-सा बरसती रही


बातें उन्हीं से शुरू करते हैं

वह ना मिले इस बात से डरते हैं

पहली बार किसी के लिए इतने भागे हैं

उन्हीं के यादों में रातें कितने जागे हैं

नदी भी मग्न होकर बहती रही

मैं कृष्ण-सा बनना चाहता रहा

वो खुद को राधा कहती रही


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance