कुछ नहीं बदला
कुछ नहीं बदला
कुछ भी तो नहीं बदला हम में
ना तुमसे जुड़े रहने का एहसास
ना उस प्यार को जीने की आस
ना तुम्हारे ज़िक्र में लिखी वो नग्मे
ना तुम्हारे इंतज़ार में सजाये वो सपने
आज भी यादें तेरी यूँ ही तड़पा जाती है
नाम से ही तुम्हारे, साँसे अब भी थम जाती है
सर झुका कर कोरे कागज़ में क्या लिखते हैं
बस खुदा से तेरी खैरियत की दुआ मांगते हैं
कुछ भी तो नहीं बदला हम में
अब भी जागते हैं रात भर
मैं तुझमें और तू मुझ में!

