STORYMIRROR

Manju Yadav

Inspirational

3  

Manju Yadav

Inspirational

इल्ज़ाम

इल्ज़ाम

1 min
157


हर इल्जाम मुझ पे यूँ ही लगाए गये, 

हम गैरों से नहीं अपनों से हराये गये.

वो इश्क़ किये थे उसमें हर्ज क्या था.

खुद की जिंदगी फैसलों में गंवाए गये.


सुर्ख आंखों में जैसे काजल लगाये गये, 

मोहब्बत में इस कदर घायल बनाये गए. 

आवाजें चीख़ कर इंसाफ मांगती रही.

फिर भी अदालत में कसूरवार बनाये गए.


दिल को खिलौना समझकर वो कैसे, 

खेलते रहे सदियों से आज तक. 

मोहरे बनाकर हम भी बिकते गये.... 



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational