माँ
माँ
मुद्दतों बाद भी मैंने
फिर माँ ही महान देखी है
दिनभर थकी है काम से,
पर चेहरे पर मुस्कान देखी है
वो ही कभी नाराज नहीं होती
बाकी सारी दुनिया नाराज देखी है
मुझे बिना बोले मेरी बात जानने वाली
बिन मांगे ही सब कुछ देने वाली
दुनिया में एक ही जान देखी है
मैंने जन्नत तो नहीं देखी पर मां देखी है
धात्री सी सहनशक्ति.
समुद्र सा उमड़ता अथाह प्रेम
तरू सी शीतलता देने वाली
धरती पर रब की मूरत देखी है
जिसके प्रेम में कोई कमी न हो
ऐसी एक महान हस्ती देखी है।
हमेशा दुआ देने वाली
हमने मां देखी है।