शहीद जवानों को नमन
शहीद जवानों को नमन
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हम भाई भाई होकर लड़ते रहे,
यूँ हिन्दू मुस्लिम कहते रहे,
देश की रक्षा के लिए
वो दुश्मन की
गोलियां खा गये।
देश के गद्दारों को
गद्दार ले आये
उन्हें छुपाने के लिए
उनकी निशानियाँ खा गये
हम यहाँ लड़ते रहे
मजहबों के लिए.
देश की रक्षा के लिए
वो दुश्मन की गोलियां खा गये,
कितने सिंदूर खोयें,
कितने घर है उजड़े
कितने घर की
चिरागे बुझ गयी.
कितनों घरों को
मजबूरियाँ खा गये.
देश की रक्षा के लिए
वो दुश्मन की गोलियां खा गये,
कितने बहनों की
राखी की कलाइयाँ
खो गयी.
कितनों घर की
इकलौते दीपक बुझ गयी.
कितनों को घर की दुरियाँ खा गये
देश की रक्षा के लिए
वो दुश्मन की गोलियां खा गये...... ।