कुछ बिखरे अल्फाज़
कुछ बिखरे अल्फाज़
तेरे और मेरे कहानी के
कुछ अल्फ़ाज़ अछूते है।
न सुना जाता है
न सुनाया जाता है,
न तुम बदले हो
न हम बदले है,
इत्तफाक से लगता है
दुनिया बदल गयी है,
न अन्जान तू है
न अन्जान मैं हूँ
फिर ऐसा क्यों लगता है
मेरी राहे बदल गयी है।
गुस्ताखियाँ जो हुई
उनकी सजा दे दो हमें
यूँ इस तरह तेरा बदलना
अब अच्छा नहीं लगता।
मशहूर तू है
तो छिपे हम भी नहीं है
बस पहले जैसे न रहे
थोड़ी आदत बदल गयी है।
जिंदगी हंसायें।
जिंदगी रूलाये
जैसे भी हो जिंदगी
ये जिंदगी है
जैसे तैसे
कटती जरूर है।
न हम अमर है
न दौलत अमर है
मिट सभी जाता है
फिर ए गुरूर क्यों है ।
