द्रौपदी
द्रौपदी
वो दाव पाशा का खेला था,
जब आर्यवत की रानी को
वो बाल पकड़ कर लाया था,
दुर्योधन के दुस्साहस ने सीमा सारी लांघी थी,
चीर हरण का देख ज़माना,
द्रौपदी बेचारी थी,
अंधा राजा बहरी सभा, पांडव भी तो मौन है
कुरूवंश के पुत्रवधू,
की लाज का साथी कौन है ?
लिए आंखों में शर्म की...
अब गोविंद कब आयेंगे
दुश्शासन दरबरों से,
कैसे मुझे बचाएंगे ?
