चाहते हैं
चाहते हैं
वो सवाल बनना चाहते हैं,
हम जवाब सुनना चाहते हैं,
वो सुबह का सूरज चाहते हैं,
हम चाँद की सूरत चाहते हैं!
कह गए कुछ यूँ वो अपने लफ्ज,
बयां ना कर पाये हम अपनी बातों से
दिल में जगह थी कुछ और,
समझ ना पाये हम उनकी आँखों से!
वो नींद में सोना चाहते हैं,
हम होश में होना चाहते हैं
वो आज की सुनना चाहते हैं,
हम कल की बुनना चाहते हैं!
ना जाने क्या बात रह गई थी उनके मन में
जो वो बता ना पाये अपने लफ्जो से,
और हम खफा करते गए उनको अपने कसमो से!
वो ज़मीन पे रहना चाहते हैं,
हम आकाश में उड़ना चाहते हैं,
वो हर गलती को मेरे जानते हैं,
हर अच्छाई को मेरे पहचानते हैं!
वो हमारे लिए इतना खोते हैं,
ये तब समझ में आया,
वो हमारे लिए इतना रोते हैं,
ये अब समझ में आया!
वो दर्द का मर्ज बनना चाहते हैं,
और हम उस दर्द में ही जीना चाहते हैं,
वो अपनी हर बात हमें बताना चाहते हैं,
पर हम एक ना सुनना चाहते हैं!