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सुख

सुख

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घोंसलों से अपने-अपने

नवजात परिंदे

आस से भरे

कानों में घुलते

संगीत बुनते।


मांँ की शब्द ध्वनि का

राग सुनते

चहकते

उल्लसित परों से

आलिंगन का

स्पर्श करते।


दानों को चुगते

अठखेलियों का

स्वाद चखते

वर्षा की बूंदों संग

पंख फड़फड़ाते।


माँ के रूप में

लड़ने

झंझावातों को हराने

निर्भय

निडर स्नेहिल

आवाज़ें करती,


जीवन राग सुनाती

आ जाती,

देती ठंडी छाँव।


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