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Akanksha Kumari

Tragedy

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Akanksha Kumari

Tragedy

दोस्ती का उसूल

दोस्ती का उसूल

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ये कैसा ऊसूल है तुम्हारा...

एक नया घरौंदा जो मिल गया

तुम अपनी पुरानी कुटिया भूल गए

थोड़ी नई खुशियां जो मिल गईं तुम्हें

जिन्होंने हंसना सिखाया था कभी

तुम तो उनकी खुशी ही भूल गए

बाहर की दुनिया जो देख ली अब तुमने

अपने तुम घर का रास्ता तक भूल गए

चंद नए दोस्त क्या बन गए तुम्हारे 

तुम अपने दो पुराने यार भूल गए

ये कैसी दोस्ती है तुम्हारी

जो बस तुम्हारे हिसाब पर चलती है

जब मन किया प्यार जता लिया तुमने

और कल होते ही बेरूखे से हो गए

एक पल में हमें जानने का दावा किया

और देखो ना कैसे.....

अगले ही पल तुम इतने अंजाने से हो गए

इस बदलाव का भी बस हमको ही आभास है

तुम तो आते अपने नए सौगात में खिल गए

हम यहां पुरानी यादों को इकट्ठा करते रहे

और तुम अपनी कई नई यादें बुनते चले गए

तुम्हारी हर उदासी का असर हम पर होना

खुद से पहले ख्याल तुम्हारा रखना 

तुम्हारी एक हसी पर हमारा खिलखिलाना

खुद टूटे होने पर भी तुम्हारी हिम्मत बने रहना

हम ऐसे ही रिश्ता हर कदम पर निभाते रहे

और तुम ये सब शायद अनदेखा कर गए

आसमां में उड़ने को पंख क्या मिल गए तुम्हें

तुम तो जमीं का पता भूल गए

चंद नए दोस्त क्या बन गए तुम्हारे 

तुम अपने दो पुराने यार भूल गए।

      

                                


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