STORYMIRROR

Akanksha Kumari

Abstract

4  

Akanksha Kumari

Abstract

मेरा यार (Friend)

मेरा यार (Friend)

1 min
407

सोचा नहीं था मैंने कभी

होगी तेरी मेरी दोस्ती

जान कर तुझको मैंने जाना

क्या होता है रिश्ता याराना


खुशकिस्मत हूं मैं बहुत

पाया है तुझ जैसा दोस्त

क्या कहूं तुझसे अब मैं

तू जानता है मुझसे ज्यादा मुझे


इन कुछ महीनों की यारी में तूने

सीखा दी है दोस्ती मुझे

जो किसी से कह ना पाऊं

खुलकर तुझसे कहती हूं


कहकर तुझसे मन की बातें

दिल को हलका करती हूं

पता नहीं कैसा होता जीवन मेरा

इसमें अगर तू आया ना होता


मेरे रब ने को मुझ पर मेहरबानी

यारी हमारी बनेगी एक कहानी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract