शहीदों को नमन
शहीदों को नमन
धरा सनी थी लाल रक्त से, कैसे भूलूं वो घटना,
सुला गया था क्रूर काल ने, कैसे बोलूॅं वो घटना,
वीर शहीदों की कुर्बानी , यही फरवरी चौदह थी,
भींग गयी थी धरा अश्क से कैसे भूलूॅं वो घटना।।
कितनों की लाठी भी छीनी रोटी छीनी थाली से,
कितनों के सपने भी छीने नन्हे-मुन्ने लाली से,
कितनों के सिन्दूर को धोया बहनों से भाई छीने,
खड़ा रहा स्तब्ध देश ये उबर न पाया सदमे से।।
बलिबेदी पर बलि चढ़ा दी हंसकर प्राणों को,
राष्ट्रद्रोहियों के मर्दन में गंवा दी अपने प्राणों को,
चले गए क्यूॅं छोड़ बटोही देकर आंसू आंखों में,
आहुति दे दी यज्ञकुंड में वीरों ने निज प्राणों को।।
निस्वार्थ प्रेम से भरे हुए रक्षार्थ देशहित थे जीते,
लिए हथेली पर जीवन को सीमा की रक्षा करते,
शौर्यवान वे राष्ट्रीय गौरव एक तपस्वी सा जीते,
प्रेरणास्रोत वे शक्तिवान धैर्य रथी बनकर रहते।।
गांव की चन्दन मिट्टी से माथे पर मैं तिलक करूॅं,
हाथों में पकड़ूं कृपाण आंखों में निज अनल भरूॅं,
कीर्ति गान तेरा नित गाऊॅं पदरज तेरे शीश धरूॅं,
शान तिरंगा लहराऊॅं अरि का शोणित पान करूॅं।।
नहीं व्यर्थ शहादत जाएगा हे भारत के लाल सुनो,
नहीं दुश्मन सांस ले पाएगा बलिदानी हे लाल सुनो,
रक्त के एक एक कतरे का लेंगे हिसाब ये वादा है,
जो दीप जलाया है तुमने बुझने ना देंगे लाल सुनो।।
