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Vishu Tiwari

Others

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Vishu Tiwari

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मरती रही मुहब्बत मिटती रही हया

मरती रही मुहब्बत मिटती रही हया

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जलते‌ हुए श-हर में सिसकती रही हया

मरती  रही मुहब्बत मिटती रही हया


हुस्न-ए-बाज़ार में भी लगती हैं बोलियां 

मीना बाजार में यूं बिकती रही हया 


शीशे के इन महलों में उजयाली रोती

मुर्दों को फ़रियाद सुनाती रही  हया 


इश्क़-ए-जान-ए-वफ़ा तड़पती हुई मिली 

रातों को हर रोज़ बिलखती  रही हया 


कतरा कतरा बिखरे वादे राह-ए-वफ़ा 

आखों में भर ख़ून टहलती  रही हया 


राह-ए-मुहब्बत चलते खंजर भोंक दिया

पग-पग कत्लेआम सिहरती रही हया 


चलना पड़ेगा हमको यूं रहबरों के साथ

हर हुक्मरां के आगे गिरती रही हया


 किस मोड़ पे ले आई रंगीनी-ए-हयात 

बे-पर्दा हो विशू वो निकलती रही हया।



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