लाचार हो गया है
लाचार हो गया है
काफिया----------" आर " की बंदिश
रदीफ------------- हो गया है
बदनाम आजकल हर अखबार हो गया है।
सरकार से बिका अब लाचार हो गया है।।
कितना सही है कोई कैसे पता करोगे।
इंसान किस क़दर तक बीमार हो गया है।
कैसा समाज अपना किस मोड़ पर खड़े हैं,
हर आदमी ही स्वार्थ में गद्दार हो गया है।
जिसको जहां में हमने चलना कभी सिखाया
उड़ने लगा वही अब होशियार हो गया है।
गाढ़ी कमाई अपनी सब दांव पर लगा दी
अब हाल भी न पूछे सरकार हो गया है।
जबसे जलाया जिंदा मिलकर ज़मीर सबने
सब हो गए ख़ुदा रब बेकार हो गया है ।
दौलत के साथ दिल भी बांटा गया ख़ुशी से
आंगन में अब खड़ा इक दीवार हो गया है।
ज़ख्मों पे ज़ख्म देकर जो मुस्कुरा रहा है
भाई 'विशू' को दुश्मन से प्यार हो गया है।
