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Vishu Tiwari

Romance Classics

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Vishu Tiwari

Romance Classics

अच्छी_नही_खामोशी

अच्छी_नही_खामोशी

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फासले हों दरमियां अच्छी नहीं

इश्क़ में मजबूरियां अच्छी नहीं

मान लो अच्छी नहीं खामोशियां

प्यार में बदमाशियां अच्छी नहीं


कौन कितना है ग़लत जाने भी दो

हर क़दम पे गल-तियां अच्छी नहीं

कह भी दो क्या दिल तुझे नाराज़गी

लफ्ज़ों में दुश्वारियां अच्छी नहीं


मरहम-ए-अल्फ़ाज़ ज़ख़्मों पर लगा

ग़म का बरखा बदलियां अच्छी नहीं

इश्क़ में कटती है शाम-ए-इंतिजार

आहटें  परछाइयां अच्छी नहीं


ज़िंदगी जिंदादिली का नाम है

दूरियां तन्हाईयां अच्छी नहीं

एक पैकर में सिमटकर यूं रहे

खूबियां  रानाइयां  अच्छी नहीं


अब करम-फ़रमाइयां बेताबियां

तोहमतें बदनामियां अच्छी नहीं

ज़ख़्म झेले दाग भी खाए 'विशू'

लग़्ज़िशें नाकामियां अच्छी नहीं।


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