STORYMIRROR

MANISHA JHA

Tragedy

4  

MANISHA JHA

Tragedy

समस्या का समाधान

समस्या का समाधान

1 min
396

समस्या से बड़ी समाधान नही होती 

ये कहना कितना आसान है

जिन पर गुजरती है वो समस्याओं की रेल

उनसे ही पूछो कभी, कैसा है ये क्रूर खेल 

जिंदगी जहन्नुम सी लगती है

जिससे मदद मांगों वो सब नज़रें चुराते हैं

उम्मीद के सारे दरवाजे एक साथ बंद हो जाते हैं 

भगवान कहीं नज़र नही आता

बंदा जाए तो जाए कहाँ

धैर्य का बाँध टूटने को आता है

आँखों के आगे अंधेरा छा जाता है

दिल सिगरेट की तरह सुलगता जाता है 

परेशानी में नैतिक शिक्षा अच्छी नही लगती

समय की घड़ियाँ रूक जाती हैं

काश कि दिल की धड़कने भी रुक जाएँ

जिल्लत भारी जिंदगी का अंत हो

तब आंसुओं के साथ सब विदा करने आएंगे

दिक्कत थी तो..मुझे क्यों नहीं बताया, बोलेंगे

कितने संवेदनहीन होते हैं लोग

दूसरों के कष्टों का भरपूर आनंद उठाते हैं लोग.



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy