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MANISHA JHA

Romance

3  

MANISHA JHA

Romance

बेताब

बेताब

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हम अपनी आदत से लाचार 

तेरे हर जख्म का मरहम ढूंढते हैं 

तेरे हर नाकाबिले बर्दाश्त गुस्ताखी को

हम बख्श देते हैं 

तू भी रहनुमा मेरा इस कदर 

मेरे एतबार को कुचल कर हर बार

जश्ने महफिल में नज़र आते हो

आँखों में शर्मिंदगी क्या, मुझे नीचा दिखाने

को बेताब रहते हो

कर लो मनमानी अपनी...सिर्फ तब तक

जब तक हम इस रिश्ते का सम्मान करते हैं


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