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MANISHA JHA

Tragedy

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MANISHA JHA

Tragedy

आरज़ू

आरज़ू

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तेरे साथ रौशन जहाँ की जो एक आरजू थी

मेरे ख्वाहिश के जाल में उलझ कर रह गई

रब ने मुकद्दर में जो लिखा था मेरे 

तेरी इश्क़ के मांझे में कट कर रह गई

एक खुसगवार सी जिंदगी हासिल थी मुझे

तेरे आशिकी के फंदे में सिमट कर रह गई

अब निकलना ना चाहूँ ,तेरे इस पिंजरे से

दर्दे दिल के हाथों मैं अब लाचार सी हो गई।



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