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Swapnil Kulshreshtha

Abstract Tragedy Others

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Swapnil Kulshreshtha

Abstract Tragedy Others

पापा ! आप क्यों चले गए

पापा ! आप क्यों चले गए

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भीड़ में भी तन्हा हूं मैं,

ना जाने किस बात से सहमा हूं मैं,

ना जाने क्यों लोग नहीं समझते मुझे,

हर रोज ही क्यों है परखते मुझे,

किस किस को मै जवाब दू,

अब कितना ही खुद को साबित करूँ ?


पापा आ कर थाम लो ना मुझे,

अकेले संभल नहीं रहा कुछ मुझसे,

खुशी आने के समय क्यों छोड़ चले गए मुझे,

मजबूत बना क्यों तोड़ गए मुझे,

आपने कैसी साजिश रची, 


जरूरत के समय छोड़ गए यूं मुझे,

सबको यूं देख अंदर ही अंदर घुट रहा हूं मै,

अपने ही गलियां क्यूं नहीं ले चलते मुझे, 

हर पल ये आंखें ढूंढे तुम्हे,

पर क्यों नहीं नज़र आते आप मुझे।


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