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मिली साहा

Tragedy

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मिली साहा

Tragedy

पैसा

पैसा

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पैसा सुख है,पैसा है शांति,है पैसा ही मान, सम्मान,

पैसे के बल पर औकात की बात करता यहाँ इंसान,


रिश्तों में होता मोलभाव, भाई भाई से लड़ जाता है,

प्यार,विश्वास की कीमत नहीं पैसा हो गया भगवान,


पैसों की चमक में उलझ कर अंधी हो गई ये दुनिया,

झूठ बिकता है,सच्चाई,ईमान की नहीं कोई पहचान,


सच्चाई को खरीद लेता है यह पैसा कौड़ियों के दाम,

दुनिया बन गई पैसो की मंडी, पैसा हो गया बलवान,


अपनों से होकर बेखबर बंध गए कागज़ के टुकड़ों में,

अपनों को छोड़ कर पैसों के पीछे भाग रहा है इंसान,


पैसा ही सुकून, पैसा ही चैन, पैसा ही प्रीत- अनुराग,

ये कैसी हो चुकी है आज हमारी जिंदगी की दास्तान,


पैसा है अगर जेब में तो ये दुनिया पीछे- पीछे घूमती,

खाली जेब को इस दुनिया में कहाँ मिलता है सम्मान,


जन्म देने वाले माता -पिता से भी बड़ा हो गया पैसा,

प्यार,भावना से बढ़कर हो गया आज पैसों का मान,


पैसे की गर्मी से जलकर आज राख हो रहा हर रिश्ता,

पैसा है तो रिश्ता है, वरना हर इंसान है यहाँ अनजान,


क्यों दुनिया में रिश्तों से ज्यादा पैसों की कद्र होती है,

पैसे की तरह ही रिश्ता कमाना भी तो नहीं है आसान,


पैसों को संभालने की तिजोरी बनती, रिश्तों की नहीं,

पैसों की तरह रिश्ता क्यों नहीं संभाल पाता है इंसान।



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