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Nitu Tated

Tragedy Inspirational

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Nitu Tated

Tragedy Inspirational

वह लड़की

वह लड़की

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गुलाबी ठंड में फ़टे-से 

नीले स्वेटर वाली लड़की

पुराने जूतों के छेदों में

भी खुशी तलाश लेती

न जाने क्या सोचती हुई

अपनी भेड़ों संग पगडंडियाँ

पार करती 


सीढ़ीदार खेतों 

को लम्बी-लम्बी छलांगे

भर खिलखिलाते हुए 

लाँघती, अपने सपनों की

ऊँची उड़ान भरती,

सधे हुए पैरों को 

धरातल पर रखती


बसन्त में खिले बुराँश 

की तरह मासूम और खूबसूरत 

उसके ख़्वाब भी

पहाड़ों जैसा अचल हौंसला लिए 

प्रण लेती आगे बढ़ती

अल्हड़ बचपन की इतनी


ही जागीर को संग ले चल

मन ही मन सोचती,

आएगा एक ऐसा दिन..

सज-धज कर वह भी

किसी की रानी बन

कर राज करेगी महलों में


खूब होंगे नौकर-चाकर 

जैसे माँ करती है सेवा 

रानी माँ की,मैं भी

जियूँगी वैसे ही, माँ

की तरह बिलकुल नहीं

रानी माँ की तरह !


भला उस मासूम को कहाँ 

पता था, क्या बदा है 

उसके भाग में ?

पापी पेट की खातिर 

क्या कर डाला उसके

बाप ने ?


बेच डाला अपनी

नन्हीं-सी जान को

शहर के अमीर सेठ को

उसकी आँखों के सपनों 

को नींद खुलने के पहले 

ही निर्ममता से कुचल

डाला,दोष भी अपना

न जान पाई, क्यूँ त्याग दिया ?


बता तो दे मेरी माई !

क्या लड़की होने

की कीमत चुकाई

शहर वह ले जाई गई

घर काम मे लगाकर

नौकरानी बनाई गई

छोटी-सी जान


जो खिले गुलाब

जैसी थी, आज

मुरझाई हुई घर-भर

का काम करती

डाँट खाती, कम 

भोजन पाती.....

बस यही सोचती

बता दे बाबा क्यूँ 

ऐसे दी मुझे विदाई ?

क्या तुझे कभी 

मेरी याद न आई ?


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