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dr Nitu Tated

Romance

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dr Nitu Tated

Romance

जो तुम न होते

जो तुम न होते

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तुम न होते तो ये स्वर्णिम आज मेरे पास न होता

अम्बर जितनी आस को मैंने पाला पोसा न होता

मेरी नकचढ़ी सी ये हरक़तें, भला कौन सह पाता

छोटी -सी मेरी खूबी को भी इतना कौन सराहता


मुझ पर अपना भरोसा तूने जो न दिखाया होता

तो मेरी सोच साकार न होती, न कोई लक्ष्य होता

तू ही मेरे जीवन साथी ,मुझ में है उम्मीद जगाता

वरना कहाँ गाँव की गौरी को यह शहर रास आता


पिया तू न पहचानकर गर खूबियों को तराशता

तब शायद मेरा हुनर भी कहीं बैठा आहें भरता

साथी का प्यार,सम्मान जो किसी को मिल पाता

दुश्वार हो राहें ,आखिर वह मंज़िल पा ही जाता।



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