चाहे कोई हो राजा वज़ीर, प्याजा इस अंगद के पाँव को, रावण भी हिला सकता नहीं। चाहे कोई हो राजा वज़ीर, प्याजा इस अंगद के पाँव को, रावण भी हिला सकता नहीं।
ज़िंदगी को भी तो हमसे यूँ गिला हो जैसे दर्द उसको भी मोहब्बत में मिला हो जैसे। ज़िंदगी को भी तो हमसे यूँ गिला हो जैसे दर्द उसको भी मोहब्बत में मिला हो जैसे।
तभी भान हुआ कि मैं भविष्य की राह देख रहा था अपने अतीत को भुलाता सा जा रहा था तभी भान हुआ कि मैं भविष्य की राह देख रहा था अपने अतीत को भुलाता सा जा रहा था
यारो, मोहब्बत का पैगम्बर, अब बनने लगा हूँ। यारो, मोहब्बत का पैगम्बर, अब बनने लगा हूँ।
इश्क में नाकामयाब आशिक की उहा पोह का वर्णन इस कविता में कवि ने किया है इश्क में नाकामयाब आशिक की उहा पोह का वर्णन इस कविता में कवि ने किया है
इत्तेफ़ाक़ भी नही होते आजकल पूरे ईमान से... इत्तेफ़ाक़ भी नही होते आजकल पूरे ईमान से...