तन्हाई छा रही है किनारों पर हर तरफ साहिल की जरूरत नहीं, मुझे समंदर की तलाश है तन्हाई छा रही है किनारों पर हर तरफ साहिल की जरूरत नहीं, मुझे समंदर की तलाश है
मोहब्बत का चादर ओढ़े, मोहतरमा मोहब्बत का चादर ओढ़े, मोहतरमा
इश्क में नाकामयाब आशिक की उहा पोह का वर्णन इस कविता में कवि ने किया है इश्क में नाकामयाब आशिक की उहा पोह का वर्णन इस कविता में कवि ने किया है
तू है रहबर या खुदाया तू है मंज़िल या खुदाया मिज़ाज़ तेरा क्यों है जुदा आओ ऐ हुस्न-ए- नूरानी तू है रहबर या खुदाया तू है मंज़िल या खुदाया मिज़ाज़ तेरा क्यों है जुदा आओ ...
हँस कर जुदा, हो गया कोई हँस कर जुदा, हो गया कोई
दिलबर है ना तो कोई रहबर है हाल ऐ दिल सुनाएं तो किसको। दिलबर है ना तो कोई रहबर है हाल ऐ दिल सुनाएं तो किसको।