मैं भी वही....
मैं भी वही....
मैं भी वही
तुम भी वही
रास्ते पर अलहदा
ख़ामोश मंज़र है वही
बस अंदाज़ है उनका जुदा
तेरी फ़ितरत मेरी अदावत
मेरी अदा तेरी ज़ुबान
बात फिर वही आ गई है
जिस पर हुआ पहले भी
यह मसला खड़ा
तू है रहबर या खुदाया
तू है मंज़िल या खुदाया
मिज़ाज़ तेरा क्यों है जुदा
आओ ऐ हुस्न-ए- नूरानी
इश्क़ बुलाता है तुम्हे
मेरी हर आरज़ू है
तेरी ज़ुल्फों की घटा.