STORYMIRROR

मैं भी वही....

मैं भी वही....

1 min
135


मैं भी वही

तुम भी वही

रास्ते पर अलहदा 

ख़ामोश मंज़र है वही

बस अंदाज़ है उनका जुदा

तेरी फ़ितरत मेरी अदावत

मेरी अदा तेरी ज़ुबान

बात फिर वही आ गई है

जिस पर हुआ पहले भी

यह मसला खड़ा

तू है रहबर या खुदाया

तू है मंज़िल या खुदाया

मिज़ाज़ तेरा क्यों है जुदा

आओ ऐ हुस्न-ए- नूरानी

इश्क़ बुलाता है तुम्हे

मेरी हर आरज़ू है

तेरी ज़ुल्फों की घटा.


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance