स्वपन
स्वपन
बंद निगाहों के अंदर भी,
चेहरे बहुत से दिखते हैं।
बंद निगाहों के स्वप्नों में,
अक्सर वो हमसे मिलते हैं।
इस असली दुनिया से अच्छी,
वो अपनी आभासी दुनिया है।
जहां कभी सपनों में,
अक्सर उनसे नजरें मिलती है।
कभी-कभी बंद निगाहें भी,
मन की खिड़की खोलती है।
मन में बसने वालों की
उसमें मधुर स्मृति दिखती है।
उन मीठे सपनों में ही,
उनसे कुछ बातें हो जाती है।
उनके समक्ष ना कह पाने वाली
बातें भी स्वप्नों में पूरी हो जाती है।
बंद निगाहों से भी उनको
स्वप्नों में निहारा करते हैं।
उनके समक्ष खड़े ना हो पाने की हिम्मत,
अक्सर सपनों में खड़े होकर दिखलाते हैं।
नजरें जहां तक नहीं पहुंचती
अक्सर मन वहां तक पहुंच जाता है।
उनसे अच्छी कई बार वह
उनकी तस्वीरें लाता है।
इस आभासी दुनिया का भी
अपना एक अलग नजारा है।
इस भीड़ भरी दुनिया से परे
मेरे मन में उनका एक किनारा है।
कुछ बातें मन को अच्छी लगती है
जिनका अक्सर सपनों में आना जाना है।
बस इन स्मृतियों के सहारे ही
जीवन में रंगों का आना जाना है।
मन में बसी उनकी स्मृतियों का
कभी-कभी विपरीत प्रभाव पड़ जाता है।
दुख में भी उनकी यादों से
अक्सर हंसी का सैलाब आ जाता है।
बिन बोले ही बहुत सी बातें
उनको देखकर समझ आ जाती है।
उनकी वह नयन कमल सी आंखें
अक्सर सब कुछ कह जाती है।
सपनों में उनकी निगाहों को
अक्सर एकटक ही हम देखा करते हैं।
वह सपने ही अच्छे होते हैं
क्योंकि इसमें वह टोका नहीं करते हैं।
उनकी मधुर स्मृतियों का वह
कोना हमेशा उनका ही होगा।
तभी तो मेरे सपनों में भी
उनका एक प्यारा हिस्सा होगा।