उम्र
उम्र
उम्र बढ़ने के साथ ही,
जिम्मेदारियां बढ़ती जा रही है।
सबको मुझमें रोज इक,
नई आशा दिखती जा रही है।
डरता हूँ कही मेरे हाथ से,
कुछ रिश्ते न छूट जाए।
इसलिए शायद मैं,
कुछ और मजबूत हूँआ जा रहा हूं।
कुछ पल इनसे ही चुराकर,
अपने लिए जीना चाहता हूं।
एक नई खुशी का,
मैं भी मालिक बनना चाहता हूं
ज्यादा नहीं इच्छा मेरी,
बस अपनों के लिए जीना चाहता हूं।
उनके सपनों को साकार कर के,
अपना जीवन त्यागना चाहता हूं।
किसी को तकलीफ देकर,
खुद खुशी नहीं चाहता हूं।
मैं तो अपनो के लिए,
खुद को न्यौछावर करना चाहता हूं।
आजाद परिंदों की जिंदगी,
भला किसे पसंद नहीं।
पर इस आजादी के लिए,
सभी को निराश करना चाहता नहीं।
