आया फाल्गुन
आया फाल्गुन
आया फाल्गुन है हौले हौले
चढ़ा नशा है धीरे धीरे
केशव के रंग में
फाग के संग में
भीगा तन मन है गीले गीले
आया फाल्गुन है हौले हौले
चढ़ा नशा....
प्रेम कीं पिचकारी
केशव ने मारी
मथुरा की गलियाँ डूबी डूबी
आया फाल्गुन है हौले हौले
चढ़ा नशा है....
राधा रानी के संग
गोप गोपीयों संग
छाई है मस्ती झूमे झूमे
आया फाल्गुन है हौले हौले
चढ़ा नशा है...
पुष्पों की बरखा
गुलाल के बादल
अबीर की ख़ुशबू महके महके
आया फाल्गुन है हौले हौले
चढ़ा नशा है...
यमुना के तीरे
ग्वालों की टोली
राधा रानी को घेरे घेरे
आया फाल्गुन है हौले हौले
चढ़ा नशा...
साजन के रंग में
प्यार के भंग में
भूली मैं सुध बुध
बिन पिए पिए
आया फाल्गुन है हौले हौले
चढ़ा नशा है...
कलम कीं पिचकारी
रसों से भरकर
छंद में पिरोकर
लिख डाले
आया फाल्गुन है हौले हौले
चढ़ा नशा...।

