जन्म-जन्म का साथ हो
जन्म-जन्म का साथ हो
दिन-8 - रंग- हरा जो उन इच्छाओं का
प्रतिनिधित्व कर्ता है जो पूरी होती है
जन्म-जन्म का साथ हो
जन्म-जन्म का साथ हो
यही है मेरी अभिलाषा
खुशियो की सौगत बन कर आना
गीत बन सदा गुनगुनाना
चंदन सा महके सदा मेरे मन का मंदिर
प्यार का उपवन घर में सजाना
कच्चे धागों का ये बंधन बखूबी निभाना
दिल से दिल की डोर है ये जन्मों-जन्मों तक साथ निभाना
यही है मेरी अभिलाषा
अधरों से मन की प्यास बुझाना
पीर मन की तुम मिटाना
जीवन में ना हो कोई अंधेरा कभी सूने से आंगन में दीप जलाना
यही मेरी अभिलाषा
हरि काँच की चूडिय़ां हाथो में पहन ना लाल सिंदूर,
लाल महावर, ये चूडी, ये बिछाया
मेरे सोलह श्रंगार मेरे पिया के नाम जो सुंदरता में लगे चार चाँद
उनके द्वारा दिए उपहार पहनू गहना
एक अटूट हो विश्वास हो एक दूसरे पर अपना
प्यार अपना राधा कृष्ण की तरह ये जग ने जाना
एक रिश्ता जैसे धरा से आसमा का
बड़ो के आशीर्वाद से ये बंधन सदा पवित्र बना
यही है मेरी अभिलाषा
जब भी जन्म लू बन तेरी परछाई साथ साथ तेरे मुजे चलते जाना
एक अटूट बंधन शिव पार्वती की तरह ये सब ने माना
तुम दिल में तुम्हारी धड़कन
तुम आवाज में सुर बन
ये सातो जन्मों का प्यार बरकरार रखना
यही है मेरी अभिलाषा
जिसमें हो निश्छलता का वास
जिस पर हो सहजता से विश्वास
जिसमें बसे मेरा मन
जिसमें दिखे केवल अपनापन
जो अपनों के लिए स्पन्दित हो
जिसमें अपनों के लिए प्यार हो
नवीन खुशियों का संसार हो एसा साथ मेरा मन झूम जाए
ना कभी स्वार्थ का भाव रखना
मैं कविता तुम शब्द बन जाना
यही है मेरी अभिलाषा
तुम्हारा साथ हो मेरी सूनी राहों पर
तुम्हारा साथ हो तो मंजिल मुझे पाना
बसे खूबसूरत पल मेरे दिल की तिजोरी में
चुराकर उनसे कुछ लम्हे नजदीक मेरे आना
मेरा सुखद संसार तुम पहला प्यार तुम
गीत में बह रहे भावना की धारा तुम
जब पुकारा में तुम्हें दिल से
पास आना मौन को जो सुन सके
प्रिय वो मधुर एहसास लाना
अलौकिक नेह जीवन का सार बन जाना
ईश्वर का वरदान जैसे प्रेम का अपने साकार हो जाना
अपना जन्म-जन्म का साथ हो
यही है मेरी अभिलाषा।