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Minal Aggarwal

Romance

4  

Minal Aggarwal

Romance

एक रंग का सूरज

एक रंग का सूरज

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सुनो 

मुझे तो यह सूरज सुबह का 

उगता हुआ 

बहुत सुंदर एक दृश्य प्रतीत हो रहा है 

तुम्हें यह कैसा लग रहा है 

मुझे तो यह भीतर तक किसी को जलाकर राख कर देने वाला 

एक आग का गोला लग रहा है 


तुम्हारी तो बातें ही अजीब हैं

सूरत गर न उगे तो यह सारी कायनात 

एक अंधकार में समा जायेगी 

इसके गुणों को समझने की तनिक तो चेष्टा करो 

इसकी ज्वलनशीलता के अवगुण से 

जो कि तुम समझते हो गर बचना है तो 

यह तो तुम्हारे हाथ में है कि तेज धूप में ज्यादा देर 

मत खड़े हुआ करो 


स्टोर की खूंटी पर जो सालों से टांग रखा है 

एक अधखुला छाता तुमने 

उसे उतारने का कष्ट करो और उसे खोल 

तान लेना अपने सिर पर जब कभी धूप में 

जनाब तुम निकला करो 


धूप ने हीं लगता है कि तुम्हारे बाल भी सफेद 

कर दिये हैं 

बुढ़ापा आ गया है पर तुम्हारा बचपना 

नहीं गया 

कितने चिड़चिड़े हो गये हो तुम इस चिलचिलाती 

हुई धूप की तरह ही पर सुनो 

सर्दियों के वह दिन तो याद करो जब हम 

इसी गुनगुनी धूप में घंटों हाथ में हाथ डाले 

न जाने कितनी ढेर सारी प्यार भरी बातें 


करते रहते थे और एक पल को न थकते थे 

धूप की तरफ तो हमारा ध्यान ही नहीं जाता था 

खुद में दोनों जो इतने मग्न थे, मशगूल थे 

अब हम दोनों के बीच 

कौन सी ऐसी बात है जिसे लेकर 

मनमुटाव नहीं है 

कितनी अनगिनत दीवारें उठ खड़ी हुई हैं

हम दोनों के बीच 


न जाने कब से हम दोनों ने 

अपने घर की बालकनी में सुबह सवेरे 

बैठकर अखबार के पन्ने नहीं पलटे

एक कप गरमागरम चाय का नहीं पिया 

आंखों में आंखें डालकर 

कितनी अनकही दिल की बातें नहीं करी 

पहाड़ियों के पीछे से 

उगता बादलों को चीरता 

आसमान में फैलता 


मेरे और तुम्हारे दिल में 

एक समान रमता 

एक रंग का सूरज नहीं देखा 

नहीं देखा न

सुनो नहीं न 

कभी से न

चलो आज देखते हैं दोनों 

मिलकर 

एक नई रिश्ते की शुरुआत

के साथ

हमारे बीच की सारी दीवारों को 

गिराकर 


अलग अलग नहीं 

दोनों मिलकर 

एक साथ 

एक नजरिये

एक नई आशा के 

साथ 

एक नई सुबह का एक 

नया उगता हुआ सूरज।


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