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Anjali Singh

Abstract Romance

4  

Anjali Singh

Abstract Romance

मेरी नज़र

मेरी नज़र

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मेरी नज़र के नज़रों में तुम नज़र आने लगे हो

मेरे दिल के धड़कनों को अब तुम बढ़ाने लगे हो


मेरी नज़र के नज़रों में तुम नज़र आने लगे हो

मेरे दिल को मुझसे ही अब तुम चुराने लगे हो


मेरी नज़र के नज़रों में तुम नज़र आने लगे हो

मेरी राहों को मंजर अब तुम दिखाने लगे हो


मेरी नज़र के नज़रों में तुम नज़र आने लगे हो

मेरे दिल के सोए एहसासों को अब तुम जगाने लगे हो


मेरी नज़र के नज़रों में तुम नज़र आने लगे हो

मेरी हर सांस में अब तुम समाने लगे हो 


मेरी नज़र के नज़रों में तुम नज़र आने लगे हो

मेरे अश्कों में भी अब तुम रहने लगे हो


मेरी नज़र के नज़रों में तुम नज़र आने लगे हो

मेरे धड़कन की धड़क अब तुम बनने लगे हो


मेरी नज़र के नज़रों में तुम नज़र आने लगे हो

मेरे अपनो में अब तुम मेरे अपने लगने लगे हो


मेरी नज़र के नज़रों में तुम नज़र आने लगे हो

मेरे ख्वाबों के अब तुम ख़्वाब मेरे बनने लगे हो


मेरी नज़र के नज़रों में तुम नज़र आने लगे हो

रब के दर पर मेरी दुआओं में अब तुम शामिल 

होने लगे हो


मेरी नज़र के नज़रों में तुम नज़र आने लगे हो

मेरी उलझी सी जिन्दगी को अब तुम सुलझाने लगे हो


मेरी नज़र के नज़रों में तुम नज़र आने लगे हो

मेरी तकदीरों को अपनी तकदीर से अब तुम 

मिलाने लगे हो 


मेरी नज़र के नज़रों में तुम नज़र आने लगे हो

बंजर जमीं पर प्यार के अब फूल खिलने लगे हो


मेरी नज़र के नज़रों में तुम नज़र आने लगे हो

बहती नदी की धारा को तुम सागर से मिलाने लगे हो



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