वो पहली बारिश का अहसास तेरे साथ।
वो पहली बारिश का अहसास तेरे साथ।
वो पहली बारिश का अहसास याद है जब मिले थे पहली - पहली बार;
तेरी खुशबू मेरा चैन ले गईं और ये दिल बेहाल कर गईं,
कुदरत भी उस दिन मेहरबान हो गईं और भूल गईं तू उसी दिन छाता;
अहसास हुआ मुझे की काप रहा है मेरा पूरा शरीर तेरी उस हलकी सी छुअन से,
भीगते भीगते जब पुछा था वो पहली बार "क्या में अंदर आ सकती हु?" दिल तो वहीं कमजोर हो गया;
कैसे की जाए बात यह पता न चल, छेड़ी बात फिर उसने और कहती "क्या नाम है आपका?",
यहा से न रुकी बाते फिर, नंबर भी मिल गया; कैसे न जाने फिर छतरी से रिश्ता भी आगे बढ गया,
रोज़ होने लगी थीं बात हमारी, ज़िंदगी लगने लगी खूबसूरत अब,
अब रोज बात होने से रिश्ते से वो बात जाने लगी, लगने लगा था जंग हमारे रिश्ते मे;
प्यार के किस्से मे अब प्यार ख़त्म हो रहा, कैसे बचाऊ इस रिश्ते को बस यहीं में दिन भर सोच रहा,
एक दफा अचानक बात होनी बंध हुई, कारण क्या था!? पता नही पर वो मुझसे दूर हुई;
मांग रहा मदद में सभी आते जाते केवैयो से क्योंकि वो तो मुझे यूंही बीच मजधार मे छोड़ गई,
पर फिर याद करता हु जब तुम्हें वो पहली बारिश याद आती हे, तू मुझे फिर उसी लिबास मे दिखजाती है,
लेकिन अब छाता वो कौन देगा, फिर तुम पर भरोसा कौन करेगा!?, फिर भी अच्छा लगाता आज भी वो अनुभव जब पहली पहली उस बारिश मे तुम मिली थीं

