प्रिये
प्रिये
जिंदगी बडी कश्मकश में चलती हैं,
तुम बिछड़ गयी हो सालों पहले,
मगर तुम आज भी सपनों में मिलती हो।
थोड़ी देर बात करती हो और कहती हो,
अब हम चलते हैं,कल फिर मिलते हैं।
हम कहते हैं उनसे हर रोज,
हकीकत में हम कभी नहीं मिल पाऐगे तुमसे,
हम बस ख्वाबों में ही तो तुमसे मिलते हैं।
कुछ देर यही रहो प्रिये मेरे पास,
हम तुम्हारे साथ बहुत खिलते हैं।
शायद ज़िन्दगी में लिखा था बस थोड़ा सा साथ,
इसलिए चले गये दूर तुम,मगर हो तुम दिल के पास,
इसलिए अब खत्म हो चुकी है मेरी तलाश।
अभी ना जाना प्रिये,
अभी तो करनी है तुमसे बहुत सारी बातें,
बस इन सपनों में ही तो तुम बस आती हो।
टूट चुका था मैं कब का,
मगर तुम मुझे रोज बनाती हो,
तुम्हारी वजह से नींद में उलझा रहता हूं,
जब नींद टूटती है तो बस तुम ही याद आती हो।
और फिर अगली रात के इंतजार में जिंदगी कट जाती हो।
कभी कभी तुम कुछ विलंब से आती हो,
उस दिन तुम बहुत तड़पाती हो,
बस तुम्हारे इंतज़ार में रात कट जाती है।
इल्म है मुझे कि अब कभी नहीं मिलेंगे,
मगर ख्वाबों में तुम हर रोज नई आस जागाती हो,
भागना चाहता हूं तुम्हारी यादों से पता नहीं कब से,
मगर हर रात तुम अपने होने का एहसास मुझे कराती हो।
भूल गया था जिस कल को,
वो तुम रोज मुझे याद दिलाती हो।
भूली बिसरी यादो का दामन पकड़े,
तुम रोज मुझसे लिपट जाती हो,
आंख खुलते ही तुम दूर चली जाती हो।

