इंतजार
इंतजार
वही ख्वाब, वही रास्ते, वही इंतजार की शाम है,
मेरी धड़कन की आवाज़ में बस तुम्हारा नाम है,
बीत गए कितने मौसम इंतजार के तुम ना आए,
अब तो इंतजार करते -करते रास्ते भी थक गए।
कितने मौसम आए चले गए मन सूना ही रह गया,
सावन आया, झूले पड़े तुम्हारे आने की खबर नहीं,
तुम बिन सावन का हर रंग केवल पीड़ा दे रहा था,
फैली थी चारों और उदासी सब थे बस प्यार नहीं।
बीत गया सावन भी सबके लिए रंगों की बहार थी,
पर मेरी आंखों में तो बस एक इंतजार का रंग था,
दिख जाए तुम्हारी कोई धुंधली छवि रंगों के बीच,
इसी आस में मन बस उड़ते रंगों को निहार रहा था।
शाम ढली मन की आस सूखे पत्तों सा बिखर गया,
एक और दिन बस इंतजार के आंसुओं में बह गया,
एक बार तो पुकार लो कि कब से तुम्हारा इंतजार है,
खयालों में ही सही आकर मिलो दिल मेरा बेकरार है।
हजारों चिराग जला कर तेरी यादों को रोशन किया है,
आंखों में रंग भरकर इंतजार का पल पल याद किया है,
कयामत तक करेंगे इंतजार पर तुम बिन जी नहीं सकते,
अब तो इंतजार को ही हमने अपना नसीब बना लिया है।
अब तो पलकें भी थककर आंखों से सवाल करने लगी है,
खत्म भी करो इंतजार, तुम्हें देखने को नजरें तरस रही है,
बुझी-बुझी सी हो गई शाम, हवाएं भी खफा-खफा रहती हैं,
राहें भी अब तो इंतजार के दर्द की कहानियां बयां करती है।
एक दुनिया में रहकर मिल नहीं सकते कितने बदनसीब हैं,
किस्मत वाले होते वो जो अपनी मोहब्बत के रहते करीब हैं,
यकीन है आओगे, पर कब, और कब तक इंतजार करें हम,
एक बार तो एहसास करा दो, और कितने आंसू बहाएं हम।
अब तो इंतहा हो गई इंतजार की बस एक मिलन की तड़प है,
इतना भी न तड़पाओ कि तुम आओ और हम ही ना मिले यहां,
हर रात के बाद सुबह का नहीं बस तेरे आने का इंतजार करते हैं,
अब खत्म कर दो इंतजार इससे पहले कि छोड़ जाएं हम ये जहां।।

