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Fahima Farooqui

Romance Inspirational

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Fahima Farooqui

Romance Inspirational

रिश्ते

रिश्ते

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गर मुमकिन नहीं साथ तो साथ आए क्यों ?

जो पूरे हो नहीं सकते ख़्वाब वो सजाए क्यों ?


जब दोनों ही है मजबूर रिश्ते निभाने में तो,

फिर कुसूर किसी एक का ही बताए क्यों ?


अपनी ही कोशिश में कमी रह गई कहीं तो,

नाकामी का इल्ज़ाम ज़माने पर लगाए क्यों ?


इक घुटन सी होती है जिनके क़रीब होने से,

बोझ ऐसे रिश्तों का फिर उम्र भर उठाए क्यों ?


मोहब्बत तो गुनाह नहीं ख़ुदा की भी नज़र में,

फिर चाहत अपनी ज़माने से छुपाए क्यों ?



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