नज़र तुम्हारी
नज़र तुम्हारी
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मौसम पर छाई हुई है ख़ुमारी।
या कर रही जादू नज़र तुम्हारी।
नज़र को चैन न दिल को क़रार
ख़ुदा जाने कैसी है ये बेक़रारी।
न कोई वादा न कोई मुलाक़ात,
बिना बात नींद उड़ी है हमारी।
आज दिल को यक़ीन आया कि,
मुहब्बत है सबसे बुरी बीमारी।
तुम्हारे सिवा कुछ सूझता नही,
नज़र में रहती है सूरत तुम्हारी।
