एक कमी
एक कमी
मुझको मेरी कमी खलती है।
एक तन्हाई मुझमे पलती है।
रूठ गई है मुझसे ख़ुशी जैसे,
उदास उदास शाम ढलती है।
देखो तो वक़्त नहीं पास और,
ज़िंदगी रुक रुक के चलती है।
लेकर साथ माँ की दुआ चल,
देख कैसे क़िस्मत बदलती है।
बुरा तो बुरी अच्छा तो अच्छी,
वक़्त देख दुनिया बदलती है।
