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ritesh deo

Abstract

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ritesh deo

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स्कूल के दिन

स्कूल के दिन

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कक्षा की शरारतें, बेवजह बेतुकी बातें

सहेलियों को तंग करना, स्कूल में देर से आना

मास्टर जी के डांटने पर झूठे बहाने सुनाना

सब कुछ याद आता है


प्रार्थना कहने के लिए बुलाने पर 

मास्टर जी से नजरें चुराना

पंक्ति में सबसे पीछे खड़े होकर

एक आंख खोलकर

इधर-उधर ध्यान घुमाना


स्कूल कार्य न करने पर

कापी घर भूल आए मास्टरजी 

नए-नए बहाने बताना 

ख़ुद को मास्टरजी की 

डांट से बचाने के लिए

दोस्तों की कॉपियां छुपाना

मॉनिटर का तमगा मिलने पर

ख़ुद को कक्षा का राजा/रानी समझना

मास्टर जी द्वारा प्रोत्साहन के लिए 

दिया गया कॉपी पर वेरी गुड 

पूरा दिन कक्षा में पूरे रोब के 

साथ दिखाना 

सब याद आता है


बिना जान पहचान भी दोस्ती कर लेना

गुरुजनों से सीखना,

स्कूल के प्रांगण में खूब मौज मस्ती करना

विज्ञान और गणित में मास्टर जी से रोज़ पिटना

और हिंदी विषय में हमेशा अच्छे नंबर लाना

कक्षा में बैठे-बैठे ख़ुद को 

कभी डॉक्टर कभी इंजीनियर 

कभी वैज्ञानिक कभी संगीतकार <

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और पता नहीं क्या-क्या सोचना 


जून की छुट्टियों में गृह कार्य ना करना

स्कूल खुलने पर स्कूल ना जाने के लिए 

पेट दर्द का बहाना बनाना

सब याद आता है


स्कूल जाते वक्त रास्ते में 

पैरों से पत्थर उछालना 

स्कूल के प्राइमरी सेक्शन के पास खड़े होकर 

काका से संतरे की टॉफियां 

चूरन की गोलियां 

एक रुपए में काका से पूरी 

दुकान का मोल लगवाना 


मास्टर जी की छड़ी जो काम ना

करने पर पड़ती थी बड़े जोर से

उसे छुपाने के नए-नए बहाने ढूंढना

स्कूल के दिन भी वो क्या दिन थे

सब याद आता है


आधी छुट्टी में सहेलियों के साथ 

साथ टिफिन खाना

रिबन वाली दो चोटियां बनाकर स्कूल जाना 

अब्बी और कट्टी का खेल 

सबसे पहले जाकर अपना 

पसंदीदा बेंच रोकना

मैडम की नकल उतारना 

स्काउट्स कैंप का टूर 

आधी छुट्टी में तख्ती पोंछना 

नई क्लास की नई किताबों पर कवर चढ़ाना 

और भी बहुत कुछ याद आता है। 


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