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Vijay Kumar parashar "साखी"

Abstract

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Vijay Kumar parashar "साखी"

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"आम"

"आम"

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फलों का तो राजा कहलाता है,आम

गर्मी का कर देता है,यह काम तमाम


एक कच्चा आम तो कहलाता है,केरी

यह केरी तो गर्मी की है,बहुत ही बेरी


आम का रस कहलाता है,आम्र रस

इसे पीने से गर्मी का मिटता है,सँघर्ष


ऊंचाई पर लग,परिश्रमी ही पाता,आम

आलसियों के तो आम गिराता है,दाम


आम जैसे ही होता है,एक व्यक्ति आम

इसमें भी समाये हुए है,तमाम गुण आम


जो नेता ध्यान रखता है,आम अवाम

आम उसको पहुंचा देता है,आसमान


आम का सम्मान करना सीख ले,साखी

आम ही बनाता,आम ही बिगाड़ता है,काम


आम व्यक्ति यदि बनाता है,राजा श्रीमान

सुनो रंक बनाना भी उसका ही है,काम


जो भी नेता आम का करता,सदैव सम्मान

आम उसे सही वक्त पर देता विजय,श्रीमान


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