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ritesh deo

Abstract

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ritesh deo

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बाद के लिए कुछ भी मत छोड़ो

बाद के लिए कुछ भी मत छोड़ो

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ज़िन्दगी में कई बार ऐसा होता है कि हम कामों को बाद के लिए टाल देते हैं। हमें लगता है कि अभी समय है, परंतु समय कभी किसी के लिए नहीं रुकता। यह कविता उसी विचारधारा पर आधारित है कि हमें अपने महत्वपूर्ण कामों को टालना नहीं चाहिए।

कविता


बाद के लिए कुछ भी मत छोड़ो,

बाद में लोग बड़े हो जाते हैं।

बाद में शब्द अनकहे रह जाते हैं,

बाद में आपकी रुचि खत्म हो जाती है।

बाद में अवसर हाथ से निकल जाते हैं,

बाद में दिन रात में बदल जाता है।

बाद में आपको कुछ न कर पाने का पछतावा होता है,

बाद में ज़िन्दगी बीत जाती है।

और आपके पास मौका था,

जो अब कभी वापस नहीं आएगा।

उस सपने को जीने का, उस काम को करने का,

जो आपके दिल में बसता था।

ज़िन्दगी की इस अनिश्चितता में,

क्यों न हम हर पल को जी लें।

क्यों न हम हर मौके को पकड़ लें,

क्योंकि 'बाद में' का कोई भरोसा नहीं।

जो कहना है कह डालो,

जो करना है कर डालो।

जिससे प्यार है, उसे बता दो,

क्योंकि बाद में ये सब अधूरा रह जाता है।

बाद में बस पछतावा ही रह जाता है,

कि काश मैंने वो किया होता।

काश मैंने उस मौके को नहीं छोड़ा होता,

काश मैंने दिल की सुनी होती।

तो चलो, आज ही जी लें,

आज ही हर काम को कर डालें।

बाद के लिए कुछ भी न छोड़ें,

क्योंकि ज़िन्दगी का भरोसा नहीं।

हर पल को भरपूर जी लें,

हर अवसर को पहचान लें।

बाद में शब्द अनकहे रह जाते हैं,

बाद में लोग बड़े हो जाते हैं।

समापन

इस कविता का उद्देश्य हमें यह समझाना है कि ज़िन्दगी बहुत छोटी है और अनिश्चित भी। जो काम हमें आज करना है, उसे कल पर न टालें। अपने सपनों को साकार करें, अपने प्रियजनों के साथ समय बिताएं और हर पल का आनंद लें। क्योंकि 'बाद में' कभी-कभी बहुत देर हो जाती है।


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