मैं मीरा, थोड़ी अनजान और थोड़ी जानी पहचानी. कृष्ण के इंतज़ार में स्याहियों से कागज़ो को रंगती आज आपको सुना रही हूँ मेरे दोहे २०२० में. जरूर बताईये की कैसे लगे.
Share with friendsये घुंघरुओं की आवाज कहाँ से आ रही है. मीरा तो बस आंखे बंद किये गा रही है।
Submitted on 22 Aug, 2020 at 22:40 PM
“सुन रहे हो ? मैं चाँद निगल गयी दैया रे.... अंग पे ऐसे छाले पड़े।"
Submitted on 24 May, 2020 at 12:17 PM
नहीं बोल सकती तो जा वापस और सो किसी और के साथ सारी जिंदगी
Submitted on 24 May, 2020 at 04:11 AM
"सच ही तो, दिन और रात " - सांवली ने उन पैरो की जोड़ी पर नजरें गड़ाए कुछ रूखी सी आवाज में कह डाला।
Submitted on 22 May, 2020 at 02:01 AM
अनोखी एकटक देखटी रह गयी उसकी आँखों में। यही तो था, अनोखी का गुड्डा।
Submitted on 11 May, 2020 at 00:38 AM
ऐसा करते हैं बस "तेरे पीछे हाँ जी हाँ जी" पर फोकस करते हैं
Submitted on 29 Apr, 2020 at 19:46 PM
"भांड में गया तू। बड़ा घर में छिपा बैठा है न, तेरे घर के सामने ही कोरोना की फौज आएगी।
Submitted on 16 Mar, 2020 at 18:47 PM
खुलकर हँसता है अक्षर, और मीरा बस देखती है उसकी बच्चों जैसी हंसी। एक पल सोचती भी है, उंग
Submitted on 14 Mar, 2020 at 02:17 AM
उचक कर देखा तो भौचक्का रह गया। कल तक तो सारी की सारी क्यारियां और उनमें पनपे हर पौधे क
Submitted on 15 Feb, 2020 at 02:26 AM