मैं मीरा, थोड़ी अनजान और थोड़ी जानी पहचानी. कृष्ण के इंतज़ार में स्याहियों से कागज़ो को रंगती आज आपको सुना रही हूँ मेरे दोहे २०२० में. जरूर बताईये की कैसे लगे.
"मेरे न होने से क्या फूल नहीं खिला था तुम्हारे आँगन में अर्सो से? "मेरे न होने से क्या फूल नहीं खिला था तुम्हारे आँगन में अर्सो से?
ये घुंघरुओं की आवाज कहाँ से आ रही है. मीरा तो बस आंखे बंद किये गा रही है। ये घुंघरुओं की आवाज कहाँ से आ रही है. मीरा तो बस आंखे बंद किये गा रही है।
“सुन रहे हो ? मैं चाँद निगल गयी दैया रे.... अंग पे ऐसे छाले पड़े।" “सुन रहे हो ? मैं चाँद निगल गयी दैया रे.... अंग पे ऐसे छाले पड़े।"
नहीं बोल सकती तो जा वापस और सो किसी और के साथ सारी जिंदगी नहीं बोल सकती तो जा वापस और सो किसी और के साथ सारी जिंदगी
"सच ही तो, दिन और रात " - सांवली ने उन पैरो की जोड़ी पर नजरें गड़ाए कुछ रूखी सी आवाज में कह डाला। "सच ही तो, दिन और रात " - सांवली ने उन पैरो की जोड़ी पर नजरें गड़ाए कुछ रूखी सी ...
वो क्या खुद मौत भी आकर नहीं मिटा पायेगी। वो क्या खुद मौत भी आकर नहीं मिटा पायेगी।
अनोखी एकटक देखटी रह गयी उसकी आँखों में। यही तो था, अनोखी का गुड्डा। अनोखी एकटक देखटी रह गयी उसकी आँखों में। यही तो था, अनोखी का गुड्डा।
ऐसा करते हैं बस "तेरे पीछे हाँ जी हाँ जी" पर फोकस करते हैं ऐसा करते हैं बस "तेरे पीछे हाँ जी हाँ जी" पर फोकस करते हैं
हरसिंगार की भी एक उम्र होती है, मैं ही नहीं समझी थी। हरसिंगार की भी एक उम्र होती है, मैं ही नहीं समझी थी।
होठो पर ही ठहरे रहते हैं होठो पर ही ठहरे रहते हैं