जिन्दा हैं कही वो आग
अभी उम्मीद जीने में
तभी तो है अभी भी ख्वाब
और परवाज घायल परिंदो में
बादलों की तो फ़ितरत हमेशा
उड़ जाने की ही है
ऐ बारिश
तू भी अब क्या इसके इश्क़ में
सबको दग़ा देगी?
मैं बनाकर ताजमहल , अपने मक़बरे पर
पढ़ लिया करती हूँ, कलमा इश्क़ का
मर चुके है ख्वाब, और अरमान, और वो रूह
बस नहीं मरता, कमबख़्त , जज़्बा इश्क़ का
पहले हम में लत थी, अब लत से हम हैं, उधर वो छूटी ..इधर हम
When we are ready to accept blame, responsibilities, and consequences with same spirit, we are unstoppable.
प्रेम और योग, दोनों तभी सार्थक होते हैं जब आत्मा, शरीर और ह्रदय में से होकर प्रवाहित हो.
The hunger for acceptance is the most basic hunger experienced by mankind.
The only way to change your life is by taking responsibility for changing it yourself. One iota at a time.