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मैं बनाकर...

मैं बनाकर ताजमहल , अपने मक़बरे पर पढ़ लिया करती हूँ, कलमा इश्क़ का मर चुके है ख्वाब, और अरमान, और वो रूह बस नहीं मरता, कमबख़्त , जज़्बा इश्क़ का

By Sunskriti Metuchen
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