("सोच धरा की") कहते हैं सब खुशमिजाज बुराई को करती नजर अंदाज, सादा जीवन उच्च विचार , सकारात्मकता जीवन का सार, नकारात्मकता से रहती दूर, अपनों का प्यार पाती भरपूर, दोस्तो को समझती अपना , नाम है मेरा अंशु शर्मा
Share with friendsसही कह रही हो..ऋतु अपना देश ही सुरक्षित है और अपना है, जैसा भी है।
Submitted on 26 May, 2020 at 17:03 PM
यह कोरोना मनुष्यों के लिए अभिशाप, पर प्रकृति के लिए वरदान है ।
Submitted on 25 May, 2020 at 14:54 PM
धैर्यपूर्वक घर में रहे, देश की, लोगों की तपस्या को सफल बनाए।
Submitted on 27 Apr, 2020 at 07:22 AM
।" " अरे बेकार की बातें हैं ,ये राघव तो रीना भाभी के पल्लू से बंधा रहता है।
Submitted on 23 Apr, 2020 at 09:39 AM
सभी कोरोना टेस्ट पोजिटिव आया । स्वास्थ्य विभाग को जानकारी पहुँचा दी गयी.
Submitted on 22 Apr, 2020 at 07:36 AM
बस स्वच्छता का रखो ख्याल, बस नकारात्मकता को दो निकाल।
Submitted on 20 Apr, 2020 at 11:28 AM
टूटी छत ना जाने कितने सालों से टपक रही थी ।पर आज मुन्ना ने दिल की मरम्मत कर दी ,जो हमे
Submitted on 25 Jan, 2020 at 16:17 PM
महालक्ष्मी के दर्शन करा गई। वहाँ जाने के संयोग बना और बचपन की कामना पूरी हुई।
Submitted on 14 Jan, 2020 at 14:56 PM
सारा दिन रसोई और घर के काम में ही जाता था। एक इतवार ही ताजगी दे जाता घुमने जाते तो! सानिया कुछ नही बोली पर बच्चे उदास ह...
Submitted on 12 Jan, 2020 at 17:52 PM
मुझे लगता है दिन अच्छे बुरे अपने लिए, अपनी सोच से होते हैं। यह हमारा अपना अनुभव होता ह
Submitted on 10 Jan, 2020 at 01:54 AM
कभी कभी अपने को बढ़ा-चढ़ा कर बताना जरूरी नही होता।समय आने पर साथ निभाना जरूरी होता है।
Submitted on 08 Jan, 2020 at 02:38 AM
पड़ोस में लाखों की शादी हुई है और हमारी किस्मत फूटी थी जो हमने तुम्हारे घर से शादी की। पर हमें क्या पता था कि तुम गरीबी ...
Submitted on 18 Dec, 2019 at 04:53 AM
सुनयना सुनने लगी जो सुना दंग रही गयी जिसे वो महान समझती थी वो क्या थी
Submitted on 28 Nov, 2019 at 00:55 AM
"जिंदगी एक परीक्षा है जिसमें हमेशा हमें सवालों को हल करना होता है एक बार नहीं हुआ तो दू
Submitted on 27 Nov, 2019 at 00:38 AM
सुमित ने परिधि को गले लगा लिया। और सबकी आंखों में खुशी के आंसू थे।
Submitted on 25 Nov, 2019 at 01:37 AM
बेटा चाहे मरने के बाद श्राद्ध नही करना, बस जीते जी ही आदर कर लो ये ही असली श्राद्ध है। तेरी माँ तेरी बातें सुनकर खुश हो ...
Submitted on 23 Nov, 2019 at 18:17 PM
आज अम्मा जी ने उन दोनों के ऊपर से बंदिशों की बेड़ियाँ हटा दी थी।
Submitted on 23 Nov, 2019 at 03:55 AM
पर तुम्हारे पूछने का तरीका ही बहुत गलत है जैसे कोई शक की निगाह से देखता हो या रिश्तो मे
Submitted on 21 Nov, 2019 at 04:00 AM
क्यूँ ना किसी के माता पिता बन जाऐ ।चलो पहले बहुत देर करके पछता रहे है अब शुभ काम मे देर
Submitted on 20 Nov, 2019 at 01:34 AM
सुबह का भूला अगर शाम को आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते।
Submitted on 19 Nov, 2019 at 01:37 AM
कभी छांव में कभी धूप में जलते रहे जिंदगी तुझे हम हर हाल में खलते रहे। कभी खुशी कोई
Submitted on 17 Nov, 2019 at 02:25 AM
माता पिता जो जी भी रहे है पर ना के समान हो सकता है इस पहल से उनका बच्चा मिल जाये।
Submitted on 16 Nov, 2019 at 04:03 AM
गिलास तो पूरा भरा है पापा जी पर थोड़ा सा ही कम रह गया मेहमान ज्यादा आ गए थे।
Submitted on 13 Nov, 2019 at 01:48 AM
रघु और सिया मुस्कुरा रहे थे। जन्म जन्म के बंधन में बधने वाले थे।
Submitted on 11 Nov, 2019 at 02:00 AM
कुछ रीति रिवाज होते जो होने भी चाहिये पर लेने के चक्कर में ये अनगिनत बढ़ते गये कुछ जान
Submitted on 10 Nov, 2019 at 03:53 AM
दादा दादी का प्यार अपनी जगह है और माता पिता का प्यार अपनी जगह।
Submitted on 09 Nov, 2019 at 06:49 AM
जो मुझे पहले जैसा स्वच्छ बना रहे है। सूखी नदियो मे फिर से कल-कल करता पानी बहने लगा है।
Submitted on 08 Nov, 2019 at 02:15 AM
दोनों ने मिलकर एक और एक ग्यारह होते हैं यह साबित कर दिया, एक से दो भले।
Submitted on 05 Nov, 2019 at 03:26 AM
जिनके पास बैठकर मैं सुख दुख बता सकूँ सुन सकूँ। दिखावटी महलों से अपनी कुटिया भली।
Submitted on 04 Nov, 2019 at 02:52 AM
ये अनकहा रिश्ता एक प्यार, अपनेपन के गहरे रिश्ते में, माँ बेटी का रिश्ता बन चुका था।
Submitted on 03 Nov, 2019 at 06:45 AM
अपने घर चलो मोहित और बहू हाथ पकड़कर सुमा और सुमाकी माँ को बाहर ले आये।
Submitted on 01 Nov, 2019 at 11:48 AM
तेरे बीमार होने से तेरी बीमारी तो सही हुई ही और सब की आलस करने की बीमारी भी सही हो गई।
Submitted on 27 Aug, 2019 at 01:54 AM
एक ही घर में बहु और बेटी में फ़र्क क्यूँ , बेटी थक जाति है तो आराम कर लेती है पर बहु से सारा कम सँभालने की उम्मीद क्यूँ
Submitted on 22 Aug, 2019 at 09:43 AM
किसी ने सही कहा है किसी के जाने से जिंदगी नहीं रूकती पर वो जगह भी कभी नहीं भरती, आप यादों में बसी हो मम्मी जी।
Submitted on 24 Jul, 2019 at 09:33 AM
कमर में दर्द होते हुए भी श्यामा रोज़ मजदूरी करती और अपने पति और बच्चों की सेवा
Submitted on 16 Jul, 2019 at 08:10 AM
बचपन मे बच्चों की ख्वाहिश पूरी करते-करते उन्हें फिजूलखर्ची की आदत लगा देने वाले पिता की कहानी
Submitted on 16 Jul, 2019 at 03:20 AM
हां जब तक भारत में नौकरी मिलती है तब तक बस वहीं। आज सुमित ने अमेरिका ना जाने का निर्णय ले लिया था। उसे समझ आ गया था ...
Submitted on 06 Jul, 2019 at 17:59 PM
बसंत नए कपड़े नया सामान ला कर देता और नूरी उसे सहेज कर रख देती, कितना भी समझाओ समझती नहीं, दोनों ने बात बंद कर di पर दोस्...
Submitted on 30 Jun, 2019 at 18:30 PM
नील के जीवन में सब था बीवी नौकरी और फेसबुक में हमेशा उपस्थित, अनुपस्थित था तो अपनी माँ की जिंदगी से
Submitted on 28 Jun, 2019 at 06:50 AM
पति से तंग आ कर अपने छोटे बच्चे जिसे पोलियो था को लेकर भाग आई रानी , बहुत परेशान थी क्या होगा पर लोगों की मदद से और अपनी...
Submitted on 27 Jun, 2019 at 12:59 PM
आपको परेशान कर देता है इस रोग को दूर करने के लिए केवल आपके मन का रिमोट आपके ही हाथ में होना चाहिए दूसरों के हाथ में नहीं...
Submitted on 26 Jun, 2019 at 06:21 AM
शीतल की कही गयी बातों को सब टोका टाकी समझते थे पर जब मयंक को अटैक आया तो सबने उसकी बातें माननी शुरू कर दी
Submitted on 21 Jun, 2019 at 09:48 AM
आपका परिवार आपकी जिंदगी का अनमोल हिस्सा है, चाहे वह मायका हो या ससुराल
Submitted on 17 Jun, 2019 at 08:59 AM
आज उन्हें भी सांवली सलोनी ही दुनिया की सबसे खूबसूरत लग लग रही थी।
Submitted on 11 Jun, 2019 at 05:20 AM
अपने लिए सब सह रही थी पर राधा, माता-पिता के खिलाफ एक शब्द सुनने को तैयार नहीं थी।
Submitted on 22 May, 2019 at 05:42 AM
विधि ने निशी को 'ये एहसान कभी नहीं भूंलुगी' कहकर जोर से गले लगा लिया।
Submitted on 22 May, 2019 at 05:40 AM
बच्चों को आजकल घर का काम करने में बेइज्जती होती है। लड़कियाँ ये बताने में भी शर्म महसूस करती हैं कि वो रोटी बना रही थी या...
Submitted on 19 May, 2019 at 07:00 AM
चलो ढूँढते हैं छोटी-छोटी खुशियाँ अपनों के बीच। मिलने- मिलाने का समय, साल में एक बार जरूर निकालें।
Submitted on 07 May, 2019 at 04:04 AM
अगर एक औरत चाहे तो आगे बढ़ सकती है उसके लिए उम्र की कोई सीमा नहीं होती बस जरूरत है एक पहल की।
Submitted on 04 May, 2019 at 11:48 AM
हौसलों के बहुत उदाहरण है जो मौत को हराकर जीते हैं।
Submitted on 02 Apr, 2019 at 18:17 PM
बेटा तो अपना होता ही है ,बहू अपनी हो जाए तब परिवार ख़ुशहाल होता है। ....
Submitted on 27 Feb, 2019 at 07:53 AM
दोनों ने मन की सुनी होती तो आज उनकी बेटी उनके पास होती।
Submitted on 26 Feb, 2019 at 06:46 AM
मैं तेज कदमों के साथ अपने घर की ओर चल पड़ा और बहुत सारी खुशियाँँ समेटने अपने बच्चों और प्रभा के साथ।
Submitted on 18 Feb, 2019 at 13:29 PM
रोहिता जी को तो खुद गुमसुम हो गई थी उन्होंने अपने पति से कहा मैंने सुन लिया है कि मेरी दोनों किडनी फेल हो गई है।
Submitted on 18 Feb, 2019 at 12:04 PM
और आज ये भी जान गई थी की घूँँघट सिर से ढकने से नहीं, आंखों की शर्म होती है, जहां बड़ों की इज्जत की जाती है।
Submitted on 18 Feb, 2019 at 05:47 AM
तेरा ध्यान किधर है ? चेहरा घूमा, दिखा ,चेहरा सूजा हुआ लाल था।
Submitted on 15 Feb, 2019 at 07:36 AM
आज उसके पीहर के दिये सामान का कोई मान नहीं था, उसके दुख को कोई नहीं समझ सकता था।
Submitted on 11 Feb, 2019 at 16:35 PM
एक दिन एक रिश्ता आया, मेरे मना करने पर भी मेरा रिश्ता कर दिया गया, मैं आगे पढ़ने की सोच ही रही थी
Submitted on 11 Feb, 2019 at 16:31 PM
रति ने मम्मी को देखा, सब मुस्कुरा रहे थे। हाँ कहकर नजरें नीचे और मुस्कुरा दी...सबकी आँँखों में खुशी के आँसू थे।
Submitted on 04 Feb, 2019 at 17:04 PM
कोई जवाब नही.मिलने पर रसोई ही आ गयी। नाश्ता कहाँ है दीदी ,रूबी की तरफ देख कर कहा। रति तुम बच्ची हो क्या
Submitted on 03 Feb, 2019 at 11:28 AM
क्या होगा आगे, अपने मन की सुन ने वाली रति के साथ और पूरे परिवार के खुशहाल जीवन में... देखिये अगले भाग में ...
Submitted on 30 Jan, 2019 at 16:05 PM
ये सच्ची घटना बचपन मे देखी उस समय बूढ़ी अम्मा को सब दिल्ली वाली बूढ़ी अम्मा कहते थे।
Submitted on 28 Jan, 2019 at 17:30 PM
अब खुशी से उसके आँसू गिर रहे थे। मंद-मंद मन में खुशी समेटे बिना डर के। आज राघव ने डर को भगा दिया था......
Submitted on 26 Jan, 2019 at 16:58 PM
केसरी ने नारी केन्द्र में नौकरी कर ली। ये क्या रिवाज कि आदमी किसी भी उम्र तक किसे की भी मांग भर दे, चाहे वो कोई बच्ची ही...
Submitted on 23 Jan, 2019 at 06:23 AM
सब बातें करते रहे पर कनक चुप ही थी, कनक तुम पार्क आया करो मैं मिलवाती हूँ अपनी सहेलियों से तुम्हें अच्छा लगेगा।
Submitted on 21 Jan, 2019 at 02:47 AM
आजकल बच्चों को भी निडर बनाना होगा। हैवानियत को भगाना होगा।
Submitted on 16 Jan, 2019 at 14:40 PM
रोली को सबने शाबासी दी, हिम्मत दिखाने की...झरना के पास रोली की मम्मी आई। भगवान ने लालची भेड़ियों से समय पर बचाया।
Submitted on 12 Jan, 2019 at 06:16 AM
एक लड़के का किरदार भी अहम है क्यूंकि उसे नये घर आई लड़की को भी समझना है और अपने परिवार को भी.........
Submitted on 10 Jan, 2019 at 14:30 PM
मायका कभी नहीं भुलाया जा सकता ना कोई लड़की अपने घर को पराया मान सकती है और ना उसके माँ-पिता अपनी बेटी को दूसरा समझ सकते ह...
Submitted on 07 Jan, 2019 at 03:40 AM
अपने लिये चार बार चाय बना कर पी लेंगे पर किसी बड़े ने कह दिया तो उठने में भी परेशानी होने लगती है।
Submitted on 07 Jan, 2019 at 03:37 AM
सहेलियो ने उसके मम्मी ,पापा को फोन कर दिया और सब बता दिया था। जैसे बस रूकी ।
Submitted on 04 Jan, 2019 at 13:54 PM
हारी बाजी को जीतना जिसे आता है वो सिकन्दर ही दोस्तों कहलाता है...
Submitted on 02 Jan, 2019 at 03:16 AM
डर के आगे जीत है.... बस जरूरत है एक हिम्म्त भरा कदम बढ़ाने की...जिंदगी तुम्हारी है...
Submitted on 30 Dec, 2018 at 06:57 AM
पैसा उनका है वह अपनी बीमारी आदि में जब भी उन्हें जरूरत पड़ेगी तो उसका प्रयोग करें पर बच्चे आजकल बहुत लालची हो गए हैं।
Submitted on 28 Dec, 2018 at 19:33 PM
माँ-बाबा की खुशी का ठिकाना नहीं था, घर बैठै रिश्ता मिल गया और रज्जो की ना भी हाँ में मीरा ने बदल दी थी।
Submitted on 28 Dec, 2018 at 08:35 AM
नु आज बहुत खुश था और ज्यादा इसलिए कि उसे इंटरनेट प्रयोग करने का मौका मिलने वाला था जो उसके पिता ने वादा किया था ।
Submitted on 27 Dec, 2018 at 10:47 AM
माता-पिता ही बच्चों को सिखा सकते हैं और गलत बातों पर उन्हें डाटेंं, बच्चों के साथ समय बिताएँ और उनका आत्मविश्वास जगाएँ.....
Submitted on 26 Dec, 2018 at 19:23 PM
माला को जो चाहिये ,तुषार तुरंत हाजिर कर देता। गौरी को लगता कही तुषार को खो ना दे वो
Submitted on 26 Dec, 2018 at 16:58 PM
लड़की को अपना पति श्रवण कुमार नहीं चाहिये पर बेटे को वो अपने से प्यार करने वाला ध्यान रखने वाला श्रवण कुमार बनाना चाहती ...
Submitted on 24 Dec, 2018 at 11:30 AM
.जहाँ बचपन बीता वो एक सुकून शीतल बयार (हवा) सा...और खट्टी, मीठी, नोक झोंक, प्यार, अपनेपन के साथ ससुराल धूप छाँँव जैसै...
Submitted on 22 Dec, 2018 at 18:29 PM
माँ-बाप की उपेक्षा को बयान करती मार्मिक कहानी....
Submitted on 21 Dec, 2018 at 15:59 PM
कौन था ये मेहमान ? सूरज का कोई अता पता क्यूँ नहीं था ? ये सब पढ़िये अगले भाग में....
Submitted on 20 Dec, 2018 at 04:53 AM
छुटकू की बहन की शादी थी,दूसरे शहर जाना होगा तो रूपये इकट्टठा कर रखे थे ।सबको बार बार बताता ,घर जा रहा हूँ बहन की शादी ...
Submitted on 20 Dec, 2018 at 03:27 AM
माही बोली मम्मी जी, मैं भी किस्मत वाली हूं जो ऐसा परिवार मिला। प्यार और अपनेपन की वजह से दिल की बात दिल तक पहुंच गयी थी।
Submitted on 18 Dec, 2018 at 17:23 PM
सूरज ने बेटी को रजनी के पास लिटाते हुये कहा ..रजनी आज हम एक नहीं दो बच्चों के मम्मी-पापा बने हैं,
Submitted on 16 Dec, 2018 at 13:55 PM
अगर आपको कभी भी ऐसे व्यक्ति को देखने का अवसर मिले तो आप उसे कृपया करके उसको इस स्टेज से बाहर निकाले
Submitted on 14 Dec, 2018 at 04:07 AM
बेबस खड़ा राह निहारे काश कोई आ जाता देने सहारे जिसको पुकारो अम्मा, बाबा गोदी में उठा ले कह के लाला
Submitted on 13 Dec, 2018 at 17:52 PM