उफफ! कहाँ गया मेरा संडे

उफफ! कहाँ गया मेरा संडे

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रोशन और बच्चे डांस करने लगे, कल तो संडे है वाह! कल तो संडे है। तन्मय बोला, आओ मम्मी डांस करें!

तुम सब करो आज तो मै जल्दी सो जाउँगी, कल तो मै भी आराम से उठुँगी सोकर। सानिया खुश होकर बोली, संडे होगा मेरा भी फन डे। सब हँसने लगे।

अब हो गयी खुब मस्ती। सो जाओ, सानिया बोली... तभी रोशन बोला, आज तो मैच आ रहा होगा। देखो कौन से चैनल पर आ रहा है? रोशन अपने बेटे तन्मय से बोला।


अरे हाँ! पापा मै तो भूल ही गया था। पर सुनो! ये मैच कल देख लेना, ग्यारह बज गये, सानिया बोली सब से।

सानिया कैसी बात करती हो? जो लाइव का मजा है उसकी बात ही अलग।

मुझे सुबह जल्दी उठना ही होगा, सानिया ने कहा।


जल्दी क्या है? आराम से उठना, कल ना आफिस, ना स्कूल, रोशन ने कहा। हाँ मम्मी... रूही और तन्मय दोनो बोले, मैच देखेंगे हम सब।

पर मै कहाँ देखती हूँ मैच, सानिया बोली... देखा करो तुम भी! भारत, पाकिस्तान का मैच है, रोशन ने कहा।


पर सुबह नहाकर, पूजा करुँगी तभी नाश्ता बनेगा, तब जल्दी उठना होगा। तुम सब तो उठते ही भूख का शोर मचा दोगे। अभी छोले भिगो कर आई हूँ सुबह बनेंगे, समय लगता है बनाने में। आप सबसे पहले, तो मुझे उठना ही है।


तभी रोशन बोला, सानिया अच्छा तुम सो जाओ! बस हमे काफी बनाकर दे दो, फिर सो जाना प्लीज!

ओहो! अभी जब तक मै रसोई में थी, तब याद नही आया आपको।

अरे! तब मैच का याद नही था। फिर कोई नही उठायेगा तुम्हें सुबह आराम से उठना।

सानिया ने गरम गरम काफी बनाई और देकर, सोने चली, तब तक बारह बज गये थे।


सुनो, लाइट ऑफ कर दो!


क्या बात करती हो सानिया? कल तो संडे है ना! आज रात को मैच देखना हैं, रोशन बोला।


पर मुझे नही, सानिया ने थोड़ा नाराजगी दिखाते हुए कहा, आप लोगों का ही तो संडे है आप तो सोते रहोगे देर तक। अच्छा ठीक है। रूही बिटिया लाइट आफ कर दो। और आवाज? सानिया ने कहा कितनी तेज आवाज हो रही है टीवी की।


नही सानिया, आवाज कम में कुछ अच्छा नही लगता मैच।


सानिया गुस्से से बोली, मना किया था बेडरूम में टीवी लगाने के लिए पर माने नही आप।


रोशन कहने लगा, देखो सानिया शाम को थक कर आओ आफिस से, सोफे पर टीवी नही देखा जाता। बेड पर आराम से देखो। सानिया बोली अच्छा आप देखो तो फिर मैच मैं बच्चो के कमरे में सो जाती हूँ।


सानिया दूसरे कमरे में आकर सो गई। पति और बच्चे पूरी रात कुछ ना कुछ अपना टीवी मैच देखकर, मस्ती करते रहे। सुबह छः बजे डोर बेल बजी।


सानिया उठी ओहो! कार वाश करने वाले को भी सुबह ही आना होता है इतवार को। नींद भी पूरी नही हुई, बडबडाती हुई नींद में ही कार की चाबी देकर आई। ब्रश किया, फेस वाश किया सानिया ने सोचा सो जाती हूँ थोडी देर और पर नींद ही नही आ रही थी। करवट लेती रही, पर नींद गायब हो चुकी थी। उठ ही जाती हूँ एक बार आँख खुल जाए फिर कहाँ नीँद! सानिया मन में ही बोली। सब सो ही रहे थे। घर बिखरा पडा था साफ किया। नहाने गई। पूजा की।


छोले उबालने रखे, पूरी बना दूँगी सोचकर आटा गुँथने लगी। आठ बज गये थे, सब उठो कितनी सुबह हो गयी! कोई उठने को तैयार नही था, एक बार गुस्से मे भी बोल आई। कब उठोगे, कब नहाओगे सब, कब नाश्ता होगा?


सब उठे, सुस्ती नही उतर रही चाय दे दो! रोशन ने सानिया को बोला। सानिया चाय बनाकर दे गयी।

सबको नाश्ता करते, रसोई साफ करने में दस बज गये। घर के काम में ग गयी, कपडे धोने रखने लगी। रोज के प्रेस करने वाले कपडे अलग रखे और बाहर आने जाने के और आफिस के कपडे बैग में रख दिए। आयरन वाले को ले जाने के लिए फोन भी कर दिया।


तभी रोशन ने कहा, शाम को बाहर घुमने जायेंगे, डिनर बाहर ही कर आयेगे, बच्चे भी खुश, तुम्हे भी एक समय का आराम। सानिया खुश हो गयी। और लंच बनाने लगी। थोडी देर में रोशन आया।


अरे सुनो सानिया! दूबे जी का फोन आया था वो ही जो शहर में रहते है। कुछ काम से इधर आयेंगे तो घर में भी शाम को आयेंगे, दूर से आ रहे है तो मना भी नही कर पाया की हम बाहर जा रहे है। हमे कुछ खास काम भी नही है। हम अगले इतवार चलेगें।


बुरा तो लगा कुछ ताजगी सी होती अगर बाहर जाती। सारा दिन रसोई और घर के काम में ही जाता था। एक इतवार ही ताजगी दे जाता घुमने जाते तो!

सानिया कुछ नही बोली पर बच्चे उदास हो गये। अरे उदास नही हो, अगली बार हम फन सिटी ले जायेंगे तुमको और जो तुम खाओगे वो खिलाऊँगा। मै पिज्जा, रूही बोली... तन्मय भी कुछ फरमाइश करने लगा और बच्चे खुश हो गये।


सुनो सानिया! जब वो शाम को आयेंगे, तो डिनर तो कराना भी होगा। सानिया की हाँ ही होगी, रोशन बिना पूछे बता कर चला गया।


मैं सामान ले आता हूँ और बच्चों को आइसक्रीम भी खिला दूँगा। खुश हो जायेंगे। प्रोग्राम खराब हो गया उनका। लंच करने के बाद डिनर की तैयारी कर लेना, दूबे जी का परिवार आ रहा है याद है ना!


मलाई कोफ्ते, दाल मखनी, जीरा राइस, फ्रूट रायता रोटी या नान तुम्हारी मर्जी। शाम का नाश्ता समोसे, ढोकला ले आउँगा डेजर्ट में मै आइसक्रीम ले आँउगा। तुम्हे भी आराम रहेगा। संडे पर दूबे जी के आने से बढिया रहेगा। अच्छा संडे होगा मजेदार गपशप।


कहकर रोशन चला गया। ऊफ्फ! सानिया सोच रही थी। नाश्ता और स्वीट लाने से आराम रहेगा ये तो रोशन कह गये पर। अभी लंच बन ही रहा था और शाम से रात तक किचिन की लिस्ट तैयार थी यानी रसोई में ही... मेरा संडे कहाँ गया?


सानिया का मन मसोसकर रह गयी थी, क्योंकि अभी तो दोपहर का लंच भी नहीं हुआ था। ना तैयारी हुई थी और शाम को मेहमान के आने का अचानक से प्रोग्राम सानिया लंच में लग गई। सुनो रोशन आज वेज पुलाव बना दूं क्या अभी? शाम को फिर उनके नाश्ते और खाने का भी प्रबंध करना है। हाँ ठीक है।


नाश्ता तो मैं बाजार से ले आऊंगा तुम रात का खाना अच्छा कर देना। इतने में बेटा तन्मय बोला, मम्मी नहीं पूलाव नहीं, मेरा बिल्कुल मन नहीं है। अच्छा देखती हूँ क्या बनाऊँ जो सब खा लें।


फिर थोड़ा सा मन में उदासी थी। उदासी की चादर उतार कर घर के काम में लग गई। शाम को मेहमान आए और चले गए और उसको उस संडे का पता भी नहीं चला कि उसकी वह छुट्टी का दिन था। सबके लिए वह छुट्टी थी पर सानिया सोच रही थी आज संडे है यानी सबका फन डे! पर उसका संडे कहाँ गया।


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